मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के अलावा भी ऐसी जरूरतें होती हैं, जिनके लिए धनराशि जरूरी होती है। प्रसूति, बीमारी, दिव्यांगता और किसी अपने को खो देने जैसे मुश्किल समय में कई बार हम स्वयं को असहाय महसूस करते हैं। संबल योजना ऐसे ही मुश्किल वक्त में जरूरतमंद के आंसू पोछती है और उनको सहारा प्रदान करती है। राज्य सरकार प्रदेश के गरीब और श्रमिक वर्ग के कल्याण तथा उनका भाग्य बदलने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की भावना के अनुरूप अंत्योदय के कल्याण के संकल्प को प्रदेश में क्रियान्वित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना के अंतर्गत प्रदेश के 23 हजार 162 श्रमिक परिवारों के खातों में 505 करोड़ रूपए की राशि सिंगल क्लिक से अंतरित करने के बाद परिवारों को मंत्रालय से वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने 5 हितग्राहियों से वर्चुअली संवाद कर उनके परिजन के निधन पर संवेदनाएं प्रकट की। कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल वर्चुअली शामिल हुए। प्रदेश के सभी जिलों, नगर निगमों, नगर परिषद और ग्राम पंचायतों के हितग्राही और जनप्रतिनिधि भी वर्चुअली जुड़े।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के श्रमिक परिवारों का अभिवादन करते हुए कहा कि परिश्रम से अपने और अपने परिवार का जीवन चलाने वाले श्रमिक ही प्रदेश के विकास की नींव हैं। परिश्रम से ही प्रतिभा निखरती है और आने वाली पीढ़ी के सुखद भविष्य का मार्ग भी बनता है। राज्य सरकार ने जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है। पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों को स्कूटी और लैपटॉप देकर प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। राज्य सरकार का प्रयास है कि सभी प्रदेशवासियों का जीवन बेहतर हो। हर परिवार आनंद और वैभव के साथ सभी जीवन व्यतीत करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार शुचिता- पारदर्शिता और दक्षता के साथ जनकल्याण और विकास के लिए कार्य कर रही है। संबल योजना का बैकलॉग भी समाप्त किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि संबल योजना में अब तक 6 लाख 58 हजार से अधिक परिवारों को 5 हजार 927 करोड़ रूपए से अधिक के हितलाभ दिए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने गिग और प्लेटफार्म वर्कर्स को असंगठित श्रमिक मानते हुए 01 मार्च 2024 से उन्हें संबल योजना में उन्हें शामिल करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर सभी संबल हितग्राहियों को आयुष्मान भारत निरामयम योजना में शामिल किया गया है। श्रमिक बहनों को गर्भावस्था के समय काम पर न जाना पड़े और उन्हें पोषण भी मिलता रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने ऐसी बहनों को 16 हजार रूपए देने की व्यवस्था की है।