उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण पर केंद्रित वर्कशाप और मेले जिला स्तर पर लगाए: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
04-Apr-2025 12:00 AM 741

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलों की जिलेवार मैपिंग की जाए। विश्वविद्यालय सहित अन्य शासकीय विभागों की खाली जमीनों पर उद्यान विकसित करने तथा प्रदेश में पीपीपी मोड पर नर्सरीयां विकसित करने के लिए कार्य योजना बनायी जाए। प्रदेश के सभी जिलों में उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण पर केंद्रित वर्कशॉप और मेले आयोजित कर जिलों के किसानों और उद्यमियों को अन्य जिलों में संचालित बेस्ट प्रैक्टिसेज से परिचित कराया जाए। जिलों में कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र में नवाचार करने तथा अपने स्तर पर इस क्षेत्र में उपलब्धियां अर्जित करने वाले किसानों का सम्मान किया जाए। इन्वेस्टर्स समिट के समान प्रदेश में उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण पर समिट का आयोजन हो। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में उद्यानिकी तथा खाद्य प्र-संस्करण विभाग की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए। बैठक में उद्यानिकी तथा खाद्य प्र-संस्करण मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रदेश में कृषि विशेष रूप से उद्यानिकी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। प्रदेश, भौगोलिक दृष्टि से सम्पन्न है, साथ ही सिंचाई और बिजली की भी पर्याप्त उपलब्धता है। प्रदेश कि उद्यानिकी के क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत से भी आगे निकले। उद्यानिकी के साथ खाद्य प्र-संस्करण के माध्यम से रोजगार के अवसर निर्मित करने की दिशा में भी अंन्तर्विभागीय समन्वय के साथ कार्य किया जाए। विभाग में विशेषज्ञों तथा तकनीकी दक्षता पर केंद्रित सेल स्थापित कर खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को प्रोत्साहित किया जाए। प्रदेश के तीनों क्षेत्रों चंबल-मालवा और महाकौशल में उद्यानिकी की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुसार कार्य योजना बनाई जाए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत और उपज का वाजिब मूल्य मिले, उन्हें यह भरोसा दिलाना आवश्यक है। किसानों की उपज के लिए उपयुक्त सुविधाजनक स्थलों पर स्टोरेज की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही आस-पास की मंडियों में उपज के मूल्य की सही जानकारी किसानों को उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था विकसित करें।

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